“बिज़नेस में साथ दिया, भरोसा भी बढ़ाया,
उधार तो दिया, पर रिश्ता ही गंवाया।”
इस शायरी का मतलब है:
इस शायरी का मतलब है कि जब हमने व्यापार में किसी का साथ दिया और उन पर भरोसा बढ़ाया, तब हमने उधार भी दिया। लेकिन इसके परिणामस्वरूप, हमारा रिश्ता ही खो गया। यह शायरी यह दर्शाती है कि व्यापारिक लेन-देन में भरोसे और समर्थन के बावजूद, उधार देने से रिश्तों में दरार आ सकती है, जो कभी-कभी नासमझी की ओर ले जाती है।
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