“पैसे का उधार, रिश्तों का इम्तिहान बन गया,
लिया तो मोहब्बत से, लौटाया तो अहसान बन गया।”
इस शायरी का मतलब है:
इस शायरी का मतलब है कि पैसे का उधार अब रिश्तों के लिए एक परीक्षा बन गया है। जब उधार लिया गया था, तब यह एक प्रेमपूर्ण क्रिया थी, लेकिन जब इसे वापस किया गया, तो यह एक एहसान के रूप में बदल गया। यह शायरी इस बात को उजागर करती है कि उधार देने और लेने के बीच के रिश्ते कितनी संवेदनशीलता से प्रभावित होते हैं, और कैसे यह प्रेम को भी लेन-देन में बदल सकता है।
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